विटामिन डी की कमी से तेजी से बढता है वजन: एक्सपर्ट

कई लोग शिकायत करते हैं कि वे डाइटिंग और एक्सरसाइज के बावजूद वजन नहीं घटा पा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे सिर्फ खानपान या जीवनशैली की गलती नहीं, बल्कि शरीर में विटामिन डी की कमी भी एक अहम कारण हो सकता है। विटामिन डी को ‘सनशाइन विटामिन’ कहा जाता है क्योंकि यह शरीर को सूर्य की रोशनी से मिलता है। यह पोषक तत्व न केवल हड्डियों को मजबूत बनाता है बल्कि शरीर की ऊर्जा, हार्मोनल बैलेंस और मेटाबॉलिज्म को भी नियंत्रित करता है। जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं मिलता, तो मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं, थकान बढ़ती है और वजन तेजी से बढ़ने लगता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो विटामिन डी शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह हार्मोन हमारे मूड, नींद और भूख को संतुलित रखता है। जब सेरोटोनिन का स्तर गिरता है, तो व्यक्ति चिड़चिड़ापन महसूस करता है, नींद अधूरी रहती है और ओवरईटिंग की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। यही आदत धीरे-धीरे मोटापे में बदल जाती है। इसके अलावा, विटामिन डी की कमी से इंसुलिन का स्तर अस्थिर हो जाता है, जिससे फैट मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है और शरीर में वसा जमा होने लगती है। यही कारण है कि विटामिन डी की कमी वाले लोगों में वजन घटाने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। आयुर्वेद के अनुसार, मानव शरीर में ‘अग्नि’ यानी पाचन शक्ति का संतुलन स्वास्थ्य का आधार है। जब यह अग्नि कमजोर होती है, तो शरीर में ‘आम’ यानी विषैले तत्व जमा होने लगते हैं, जिससे मोटापा, आलस्य और पाचन संबंधी विकार उत्पन्न होते हैं। सूर्य की रोशनी इस अग्नि को प्रज्वलित करती है, यानी धूप शरीर की नैसर्गिक ऊर्जा को सक्रिय करती है। यही कारण है कि प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में सुबह-सुबह सूर्य स्नान करने की सलाह दी गई है। हल्की धूप में बैठना न केवल विटामिन डी का अच्छा स्रोत है बल्कि मानसिक स्फूर्ति भी प्रदान करता है। विटामिन डी की कमी के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और अक्सर लोग उन्हें सामान्य थकान या तनाव समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लगातार थकान रहना, हड्डियों या मांसपेशियों में दर्द, बालों का झड़ना, बार-बार मूड बदलना और नींद की कमी ये सभी संकेत हैं कि शरीर में इस आवश्यक विटामिन की कमी हो रही है। लंबे समय तक इसकी अनदेखी करने से हड्डियों की कमजोरी, मोटापा, मधुमेह और हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है। इस कमी को दूर करने का सबसे प्राकृतिक तरीका है सुबह की धूप में कुछ समय बिताना। सूरज की हल्की किरणें शरीर को यह विटामिन प्राकृतिक रूप से प्रदान करती हैं। हालांकि केवल धूप में रहना पर्याप्त नहीं। संतुलित आहार भी जरूरी है ताकि शरीर में विटामिन डी के स्तर को बनाए रखा जा सके। विशेषज्ञों के अनुसार, संतरे का रस, अंडे की जर्दी, मशरूम, ओट्स, फोर्टिफाइड दूध और मछली जैसे खाद्य पदार्थ इस विटामिन के अच्छे स्रोत हैं। आयुर्वेदिक दृष्टि से, तिल का तेल, आंवला और अश्वगंधा जैसे औषधीय पदार्थ भी शरीर में ऊर्जा संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं। ये तत्व न केवल पाचन को सुधारते हैं बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाते हैं।
source – ems
 



