27 जून बलिदान दिवस समाधान निषाद और लोचन मांझी को समर्पित
अ.भा. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के तत्वावधान में होगा पौधारोपण
इन्दौर। अ.भा. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन एवं निषाद वंशीय मांझी आदिवासी समाज म.प्र. के तत्वावधान में गुरवार, 27 जून 2024 को प्रात: 10.30 बजे समाधान निषाद और लोचन मांझी के बलिदान दिवस को डेली कॉलेज के सामने पौधा रोपण कर मनाया जाएगा।
जानकारी देते हुए संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मदन परमालिया और समाज के प्रदेश अध्यक्ष उमाशंकर रायकवार ने देते हुए बताया कि लोकतंत्र की स्थापना हेतु समाधान निषाद, लोचन मांझी आदि नाविकों ने 14 सौ अंग्रेजों को कानपुर के सती चौरा घाट पर गंगा नदी में डुबो डुबोकर कर मारे थे । परिणामस्वरुप अंग्रेजों ने क्रूरता का अंजाम देते हुए 27 जून 1857 को सुबह 7 बजे गाव को जलाकर एवं उजाड़कर समाधान निषाद लोचन मांझी सहित 168 निषादों को पीपल के पेड़ में टांगकर कच्ची फांसी दे दिये । कानपुर के बिठूर सैनिक छावनी से हजारों अंग्रेज देश का धन सैकड़ों नावों में लेकर समाधान निषाद व लोचन माझी की अगुवाई में गंगा नदी के रास्ते कलकत्ता जा रहे थे। रास्ते में इलाहाबाद के पहले महाराज गुहराज निषाद की प्राचीन नगरी श्रृंगवेरपुर धाम पर नदी के किनारे टीले पर रात्रि विश्राम के लिए जहाजी बेड़े सहित रूके। अंग्रेज नावों पर विलासिता में लिप्त थे । सभी नाविक भोजन पानी के लिए टीले पर स्थित निषादवंशीय की बस्ती में गए। नाविको ने गाँव के लोगो से पूछा- अरे भाई ये इतना ऊंचा टिला किसका है ?
इतना सूनते ही गांव के लोगो ने कहा, अरे मुर्ख, चुप हो जा, यह टिला नही, बल्कि हमारे तुम्हारे पूरखो का किला है, जिस अंग्रेज की तुम लोग गुलामी कर रहे हो, वह अंग्रेज हम लोगों को गुलाम बना कर रखे हैं, हमारी बहू-बेटियों की इज्जत लूट रहे हैं और आप लोग इनकी सेवा में लगे हो। आज तो आप लोगों को बिरादरी के नाम पर दाना-पानी मिल मिल गया है लेकिन इसके बाद आप लोगो को अपमानित होना पड़ेगा। यह देश हम केवट निषादों का है इन गद्दारों का नहीं। जिनकी आप लोग सेवा कर रहे हो, जिस किले पर बैठे हो, यह हमारे तुम्हारे वंश के महाराजा गुह्यराज निषाद के किले का ध्वंसावशेष है। समाधान निषाद व लोचन माझी सहित सभी नाविक आश्चर्य भरी निगाहों से देखने व सोचने लगे कि हमारे वंश में भी राजा महाराजा थे । सभी नाविकों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। सभी नाविकों ने वही प्रण कर लिया कि अब इन विदेशी गद्दारों को खत्म करना है और खोया हुआ राज विरासत वापस लाना है। यहीं से वापस चलकर इन गद्दारों को अब कलकत्ता नहीं पहुंचाना है। नाविकों ने अंग्रेजों से कहा कि आगे गंगा नदी में पानी कम है जिससे नाव आगे नहीं जा पाएगी। निर्णय के अनुसार सभी जहाजी बेड़ा बिठूर वापस आ गये । सभी नाविक समाधान निषाद व लोचन माझी के नेतृत्व में 14 सौ अंग्रेजों को एक साथ डुबोकर खत्म करने का संकल्प लिये और योजना बनाये कि जब गंगा में बाढ़ आएगी तब कानपुर में अपने गांव के सामने इन विदेशी गद्दारों को डुबोकर मारा जाएगा । समाधान निषाद व लोचन माझी ने सभी नाविकों से कहा कि जब हम पघारा यानि पगड़ी हिलाएंगे तभी आप सभी नाविक नाव के अंदर जाएंगे। जहां पहले से आप सभी के नावों में कुल्हाड़ी रखी होगी जिसे उठा कर नावों की पेंदे पर तेजी से कुल्हाड़ी मारकर तोड़ देना है। जिससे नाव फट जाएगी और अंग्रेज डूब कर मर जाएंगे । तब हम सब तैरकर बाहर निकल जाएंगे। जब बरसात के समय में गंगा नदी में बाढ़ आई उसी समय बिठूर छावनी से हजारों अंग्रेजी सैनिक जब अपना जहाजी बेड़ा लेकर सती चौरा घाट कानपुर के सामने आए तो समाधान निषाद व लोचन माझी ने अपना अपना पघारा यानि पगड़ी हिलाये । सभी नाविक एक साथ नाव में नीचे जाकर जोर से टांगा मारे जिससे नाव फट गई। सारे अंग्रेज सैनिक मारे गए। सभी नाविक तैर कर भाग गये।