3 दशक पुरानी है उद्धव ठाकरे की ‘मशाल’

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की  को ‘ढाल और दो तलवार मिली’, उद्धव ठाकरे के खाते में ‘मशाल’ आई। इसके साथ ही दोनों गुटों के बीच जारी पहचान की जंग पर विराम लग गया है। इसके अलावा दोनों गुटों को नया नाम भी मिला है। एक ओर जहां उद्धव की पार्टी ‘शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)’ हुई। वहीं, शिंदे की पार्टी ‘बालासाहेबांची शिवसेना’ के नाम से जानी जाएगी। खास बात है कि दोनों गुटों को मिले चिह्न भी खास हैं। दरअसल, इतिहास बताता है कि दोनों चिह्न शिवसेना की राजनीतिक यात्रा में शामिल रहे हैं।

एक ढाल, दो तलवार
बात साल 1968 की है, तब शिवसेना करीब 2 साल की ही थी और बृह्नमुंबई महानगरपालिका चुनाव में दांव आजमाने की तैयारी कर रही थी। तब पार्टी ने ढाल और दो तलवार के चिह्न पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, पार्टी का नाम जन्म यानी जून 1966 में ही तय हो गया था। इसका श्रेय पार्टी संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के पिता और समाज सुधारकर प्रबोधंकर केशव सीताराम ठाकरे को जाता है

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