अखिल भारतीय महापौर केसरी के तीसरे सत्र में आपका स्वागत है

पत्रकार राहुल कांतिलाल लोदवाल की कलम से
इंदौर : सन् 1984 में पहली बार इंदौर शहर में शुरू हुआ महापौर केसरी दंगल आज पूरी तरह से बदल गया है कड़क मिट्टी की जगह अब मेट ने ले ली है लेकिन कुछ नहीं बदला है तो वो है इस खेल के प्रति युवाओं, पुरुषों व महिलाओं का उत्साह।
1984 में तत्कालीन महापौर रहे श्री राजेंद्र धारकर व संबंध समिति आज के सामान्य प्रशासन विभाग के नाम से पहचाने जाने वाले विभाग के अध्यक्ष रहे गोपीकृष्ण नेमा के माध्यम से शुरू हुई एक छोटी सी पहल आज इंदौर में पहलवानों के लिए मिल का पत्थर साबित हो गई है जिसे एक बार पुनः नई दिशा देने व एक नए मुक़ाम पर ले जाने का कार्य कर रहे है इंदौर के मिल क्षेत्र के मज़बूत भाजपा नेता, वार्ड क्रमांक 47 के पार्षद व सामान्य प्रशासन विभाग के अध्यक्ष नंदकिशोर पहाड़िया।
इंदौर शहर शुरू से ही पहलवानों का शहर रहा है गली – मोहल्ले में मेहनत करने वाले छोटे छोटे पहलवानों ने शहर ही नहीं अपितु देशभर में इंदौर शहर का परचम लहराया है किंतु कुछ समय से जहां महापौर केसरी दंगल के बंद होने से पहलवानों में निराशा थी वहीं आज उससे दोगुना उत्साह से पहलवान छोटे नेहरू स्टेडियम में दांव पेंच लगाते दिख रहे है जिसके सूत्रधार बने है नंदकिशोर पहाड़िया। उन्होंने ना सिर्फ़ पहलवानों को एक मंच दिया है बल्कि पूरे देश में एक संदेश दिया है संदेश है सुव्यवस्थित व्यवस्था का, संदेश है उभरते हुए पहलवानों को उम्मीद देने का, संदेश है शहर के पुराने अखाड़ो को जीवित रखने का, संदेश है पुराने उस्ताद, ख़लीफ़ाओं, पहलवानों को कुश्ती के प्रति किए गये उनके त्याग, परिश्रम व समर्पण के लिए सम्मानित करने का, नंदकिशोर पहाड़िया आज के समय के सच्चे जनप्रतिनिधि के रूप में निखरने वाले ऐसे सपूत है जिन्होंने एक बार पुनः महापौर केसरी की शुरुआत कर पहलवानों में एक अलग ऊर्जा फूंक दी है जिसका प्रतिफल इस महापौर कुश्ती को देखने आ रहे हज़ारों की भीड़ में देखते है बनता है।
एक समय था जब हारने – जीतने वाले पहलवानों को नाममात्र की राशि मिलती थी, उस पुलिस व्यवस्था दुरुस्त थी ना पहलवानों को किसी तरह का आर्थिक सहयोग मिलता था किंतु नंदकिशोर पहाड़िया ने अपनी कुशलता व कुश्ती के प्रति उनके प्रेम को ना सिर्फ़ एक आयोजन तक रखा अपितु उसमें कई बदलाव भी किए जिसका सबका बड़ा उदाहरण ये भी है कि अब हारने – जीतने वाले पहलवानों की राशि भी बड़ी है साथ ही प्रत्येक व्यायामशाला को १० १० हज़ार रुपये का सहयोग भी किया है जिससे शहर में कुश्ती पुनः जीवित हो सके। इन सभी के अलावा एक बात जो इस महापौर दंगल में सबसे अच्छी देखने को मिली वो है पूरे इंदौर शहर के पुराने पहलवानों का एक मंच पर आना और सम्मानित होना, अपने पूर्वजों को इस तरह से सम्मान देना ये दिखाता है कि एक मज़बूत जनप्रतिनिधि अपनी जड़े कभी नहीं भूलता। पहलवानों की राशि की बात हो या उनके भोजन से लेकर ठहरने की हर एक विभाग की निगरानी स्वयं निभा रहे है मिल क्षेत्र के मज़बूत नेता नंदकिशोर पहाड़िया।इनकी सक्रियता, कुशलता और सभी को साथ लेकर चलने की योग्यता ही इन्हें बनती है सबका चहिता नंदू भैया।




